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World Handicapped day This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

World Handicapped day

नमस्कार दोस्तों। देशभक्त हिंदुस्तानी की ''खास लम्हे की सीरीज'' में एक बार फिर मैं, आपके साथ हूं। आज एक सवाल, मैं, आपसे पूछना चाहूंगी, कि किसी डिफरेंटली एबल्ड पर्सन को देखकर आप कैसे रिएक्ट करते हैं- काइंड OR रिस्पेक्टफुल। फिजिकल, मेंटल डिसेबिलिटी और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर सहित दुनियाभर में 1 अरब से ज्यादा लोग डिफरेंटली एबल्ड हैं। ज्यादातर लोग इन स्पेशली एबल्ड लोगों की हमेशा हेल्प करते हैं, लेकिन क्या इन्हें हमारे सिंपैथाइज, पिटी नेचर और चैरिटी की जरूरत है या फिर acceptance की। कुछ लोगों का belief है कि mentally या फिजिकली चैलेंज्ड लोगों को पब्लिक places पर लाना ही नहीं चाहिए। आखिर क्यों। विजुअली इंपेयर्ड जिस पर्सन के लिए दिन-रात अंधेरा है, दुनिया को देखने की चाहत तो उसे भी होगी। जो चल नहीं सकता, वो भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता होगा। जो बोल, सुन और लिख नहीं सकता, Feelings तो उसमें भी हैं। वहीं, साइंस को भूल कर कुछ लोगों का मानना है कि किसी ने बड़े पाप किए होंगे, इसलिए उनके घर में ऐसे बच्चे हैं। क्या सच में हम 21 सेंचुरी में हैं। क्यों भूल जाते हैं, वो डिसेबिलिटी सिर्फ, बायबर्थ ही नहीं, एक्सीडेंटल भी हो सकती है और किसी के भी साथ ऐसा हो सकता है। खैर। बात सिर्फ इतनी सी है कि क्या, आज हम उन्हें एक ऐसा एटमॉस्फेयर प्रोवाइड करवा पा रहे हैं, जो उन्हें इक्वल एजुकेशन, जस्टिस और ऑपरच्यूनिटी दे पाए। दुनियाभर की टोटल पॉप्युलेशन में 15% लोग, किसी न किसी टाइप की disability फेस कर रहे है। इनमें से लगभग 93 मिलियन बच्चे और 720 million adults हैं, जिन्हें मूविंग और फंक्शनिंग में ज्यादा प्रॉब्लम हैं। भारत की बात करें, तो As per Census 2011, देश की कुल जनसंख्या का 2.21% लोग डिसेबल हैं। आज हर साल की तरह, दुनियाभर में World Handicapped day या disabled लोगों के लिए international day सेलिब्रेट किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत United Nations General Assembly ने 3 दिसंबर, 1992 में की थी।

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यह दिन डिफरेंटली abled लोगों के rights, dignity और welfare की बात करता है। इस दिन की सेलिब्रेशन के जरिए हम, इनके यूनिवर्सल राइट्स, जस्टिस और एजुकेशन के लिए एक्सेस, फुल पार्टिसिपेशन और उनके अधिकारों को प्रोटेक्ट करने की बात करते हैं। इसलिए भारत में भी, 3 दिसंबर, 2015 को Accessible India Campaign लाँच किया था, जिसके तहत डिफरेंटली एबल्ड लोगों के लिए, एनवायरनमेंट, ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर और कम्युनिकेशन इकोसिस्टम को एक्सेसिबल बनाना था। लेकिन क्या हमारा समाज, दिव्यांग लोगों को वो सम्मान और अधिकार दे पा रहा है, जिसके वो हकदार हैं। रास्ते पर चलते हुए कभी हो सकता है कि आपके बच्चे ने भी किसी डिसेबल पर्सन का मजाक बनाया हो, या फिर खुद आपने भी। लेकिन इसमें उस बच्चे की गलती, नहीं है। क्योंकि स्पेशली एबल्ड बच्चों को नॉर्मल स्कूल में एडमिशन नहीं मिलती। रिजल्ट- आम बच्चों और लोगों के साथ उनका कोई कनेक्शन नहीं होता। ऐसे में बच्चे कैसे उनके लिए सेंसिटिव हो पाएंगे। और ऐसी डिस्क्रिमिनेशन के चलते, ये लोग खुद को आइसोलेट कर लेते हैं और अकेले रहना पसंद करते हैं। जैसे हर इन्सान दूसरे से अलग होता है, ठीक वैसे ही ये भी हर किसी से थोड़े अलग हैं। लेकिन हम सब की तरह वो भी नॉर्मल ह्यूमन बींग हैं, जो इमोशनल भी हैं और पॉवरफुल भी।

एंटरटेनमेंट, sports और बिजनेस से लेकर हर सेक्टर में, कई exceptional लोगों की सक्सेस उनकी पहचान बनी है, न कि डिसअबिलिटी। रोज, आम लोगों से ज्यादा स्ट्रगल और चैलेंजेस से जीतकर Indian classical dancer and actress सुधा चंद्रन, गायक Ravindra Jain, badminton champion Girish Sharma, क्रिकेटर Preeti Srinivasan, पेंटर Sadhna Dhand और Popular news caster H. Ramakrishnan जैसे कई इंडियंस ने साबित किया है कि कोई डिस्एबिलिटी सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती। Disability का मतलब यह नहीं है कि आप नॉर्मल नहीं है। इसका सीधा सा मतलब है कि आप दूसरे लोगों की तुलना में थोड़े अलग हैं। हो सकता है कि जो काम दूसरे कर सकते हैं, वो आप न कर पाएं। लेकिन आप में भी, कुछ तो ऐसा जरूर होगा, जो आप, बाकी पूरी दुनिया से बेहतर कर सकते हैं। डिसेबिलिटी के बावजूद you all women are Hot, Wise, beautiful, “क्यूट,” एंड “pretty,”। You all men are still हैंडसम, Brilliant, talented, Cool, एंड नो डाउट brave. चैलेंज और स्ट्रगल किसकी लाइफ में नहीं हैं? Actually god blesses everyone with one special ability. अपनी उस Ability को पहचानिए, मुस्कुराइए और एक कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढि़ए।